Monday, July 30, 2012

हिन्दू राष्ट्र का ईसाईकरण (ईसाइयत - भारत की रघों घुलता एक धीमा जहर)

ईसाई धर्म की ओर लोगों का ध्यान बहुत ही कम है, जबकि आज भारत में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है ईसाइयत ही है ! ये बहुत धीरे धीरे और बहुत ही सुनियोजित ढंग से भारत में बढ़ रहा है और इसकी फंडिंग भी ईसाई देशों से काफी बड़े पैमाने पर हो रही है ! सुनियोजित ढंग से और चुप चाप बिना उग्र प्रदर्शन करे बढने के कारण हम लोगों का धयान इस तरफ नहीं जा पा रहा है ! ये एक धीमे जहर की तरह भारत में अपने पैर फैला रहा है ! अगर समय रहते ही इससे नहीं निपटा गया तो ये इसकी भी स्थिति इतनी भयावह होगी की जिसका नदाजा नहीं लगाया जा सकता ! ये जितना बढेगा उतना ज्यादा नुकसान हिन्दुओं को ही होगा ! क्यूंकि इनके मतावलम्विओं का सीधा टार्गेट हिन्दू ही है, क्यूंकि हिन्दू ही धर्म परिवर्तन करने में माहिर होते हैं अन्य धर्म करने से रहे ! हिन्दुओं के लिए आने वाले समय में ये कट्टरपंथी इस्लाम के बाद सबसे बड़ी समस्या होगी क्यूंकि इन ईसाई मतावलम्विओं की घुसपैठ भारत सरकार के अन्दर भी है और बाहर भी ! भारत में ये कॉन्वेंट स्कूलों, चर्चों, मिशन अस्पतालों, अनाथआयलों द्वारा अन्दर तक घुसपैठ कर चूका है ! इसलिए ही ईसाइयत को भारत के लिए धीमा जहर कहना अनुचित नहीं होगा !
साइयों के लिए जारी मिशन मैंडेट (आज्ञापत्र) से उनकी षड्यंत्रकारी योजनाओ का पता चलता है । मिशन मैंडेट में भारत के प्रत्येक राज्य में कार्यरत मिशनरी संगठनो के लिए निर्दिष्ट अवधि में किये जानेवाले समूहिक ईसाईकरण का लक्ष्य और उसके लिए किये जानेवाले व्यय का स्पष्ट उल्लेख है ।
अगर ये इसी तरह बढता गया तो इसके अंजाम क्या हो सकते हैं इसका अंदाजा आप अभी हाल की उस घटना से लगा सकते है जिसमे एक ईसाई समाज के लड़के Laxman Johnson ने एक शिवलिंग पर पैर रख कर फोटो शूट करा कर facebook पर दाल कर साफ़ सन्देश दिया की इनका target हिन्दू है ! हमे ये ध्यान रखना होगा की ये कोई उदारवादी धर्म नहीं बल्कि एक अबसर वादी धर्म है !
भारत में नौ लाख चर्च बनाने की योजना    
मैंडेट के पृष्ठ ४४७ पर लिखा है – हमारा लक्ष्य भारत के प्रत्येक गाँव (भारत में ५ लाख गाँव है) में और शहरो की प्रत्येक कालोनी (बस्ती, मौहल्लों) में कुल मिलाकर ९ लाख चर्च का निर्माण करके उन क्षेत्रो में ईसा को माननेवाले समुदायो का निर्माण करना हैं ।
मिशन मैंडेट में ही मिशनरियों द्वारा किये जा रहे कार्यो का खुलासा इस प्रकार है -
पृष्ठ ४७१ – नागपुर का फेसरेशन आंफ एवंजेलिकन चर्च अपने २,६०,००० रु. के वार्षिक बजट के द्वारा प्रति वर्ष ७०० लोगो को ईसाई मत की दीक्षा देता हैं ।
पृष्ठ ४७० – चेन्नई का फ्रेंड्स मिशनरी प्रेयर बैंड प्रति वर्ष के अपने १.४५ करोड़ रु. बजट के द्वारा ३,४०० लोगों को ईसाई बनाता है ।
पृष्ठ ४७५ – नई दिल्ली की इंडियन एवन्जेलिकल टीम प्रति वर्ष के अपने ४० लाख रु. बजट के द्वारा प्रति वर्ष २००० लोगों को ईसाई बनाती है ।
 पृष्ठ ४७७ – मणिपुर की राजधानी इम्फ़ाल का कूकी क्रिश्चन चर्च २० लाख रु० के वार्षिक बजट के द्वारा प्रति वर्ष १०० लोगों को ईसाई बनाता है । कूकी चर्च ने आगामी १० वर्षों में १०० चर्च बनाने का लक्ष्य निश्चित किया है ।
पृष्ठ ४७६ – आमलापुरम के मन्ना फुल गास्पेल मिनिस्ट्रिस अपने १ करोड़ रु० के वार्षिक बजट द्वारा प्रति वर्ष ३००० लोगों को ईसाई बनती है । विगत ५ वर्षों में उसने १५००० लोगों को ईसाई बनाया है ।
कोटा राजस्थान की एम्मेन्युअल बाइबिल इंस्टीट्यूट अपने ७० लाख रु० के वार्षिक बजट से प्रति वर्ष ४००० लोगों को ईसाई बनती है । 
इंडियन एवन्जेलिकल टीम के संस्थापक अध्यक्ष पी०जी० वर्गिश अपनी रिपोर्ट में बताते है । हमने (आई०ई०टी०) १९७९ – १९८९ तक २०० चर्च बनाने का संकल्प किया था । प्रभु यीशु की कृपा से हमने १९८८ में ही अपना लक्ष्य । वर्ष १९८८ तक आई०ई०टी० के साथ २००० ईसाई मतावलंबी थे । फिर हमने ४०० लोगों को ईसाई बनाने का लक्ष्य रखा, जिसे हमने निश्चित अवधि के पूर्व ही पूरा कर लिया । भारत की क्रिश्चियन मिशनरीज़ का ध्येय सम्पूर्ण भारत को ईसाई बनाना है ।
आखिर ये मिश्नरियाँ भारत को ईसाई राज्य क्यूँ बनाना चाहती हैं ? इसका उत्तर मैंडेट के इस वाक्य से मिलता है, जिसके अनुसार वर्ष 2020 तक भारत में बहुत बड़ी संख्या में ईसा के अनुयायी बनेंगे और भारत के सामाजिक व राजनीतिक जीवन में अपना प्रभाव स्थापित करेंगे ।