Monday, December 19, 2011

मुस्लिमों द्वारा हरे कृष्ण मंदिर, डेनमार्क पर हमला

 
दिनांक 6.12.2011 को मंदिर में 20.४५ बजे मुस्लिम पृष्ठभूमि के गुंडों के एक समूह द्वारा हमला किया गया था! ये सभी लोग बेसबॉल बैट और अन्य हथियारों से लैस थे ! ये लोग आवासीय मंदिर निर्माण के खिलाफ पहले पत्थर फेंक रहे थे, जिससे पहले तो आश्रम की खिड़की टूटी हुई ! मंदिर अध्यक्ष ने पुलिस को तुरन्त बुलाया! एक पुलिस अधिकारी ने पहले कुछ लोगों को पकड़ लिया फिर नोटिस देकर छोड़ दिया ! परिणामस्वरूप आधे घंटे बाद हमलावरों का एक बड़ा समूह फिर पत्थर फेंकने, उद्यान में प्रवेश, तुलसी कमरे में घुसने की कोशिश की तथा प्रत्यक्ष शारीरिक संघर्ष की मांग की ! क्योंकि मंदिर के करीबी एक मुस्लिम स्कूल भी है, यह बहुत संभव है कि इन दो घटनाओं से संबंधित हैं ! खिड़की से देखने पर उनमें से ज्यादातर 18 साल की उम्र के नवयुवक थे !
 
इस घटना में डेनमार्क की पुलिस भी उदासीन है, शायद इसलिए मंदिर के देखभाल करने बालों का कहना है की - "हमें पुलिस से कोई सुरक्षा की उम्मीद नहीं है और हम तो एक बार फिर पूरी तरह से श्री श्री भगवान न्र्सिम्हादेवा और श्री कृष्ण की दया पर ही निर्भर है !
 
अब इन घटनाओं को देककर सेकुलर लोग क्यों आँखे फिर लेते है ! अब हिन्दुओं को भी जानना चयिएँ की उनका कोई हितेषी नहीं ! अपने सम्मान की रक्षा उन्हें खुद ही करनी पड़ेगी ! 

रूस में लगा भगवतगीता एवं इस्कॉनपर प्रतिबंध !




[PTI An ISKCON follower holds a placard during an agitation in front of Consulate General of the Russian Federation Office in Kolkata on Monday]

मास्को, १७ दिसंबर - रशिया में न्यायालय ने एक आदेश द्वारा भगवतगीता पर प्रतिबंध लगाया है । इस आदेश में ऐसा आरोप लगाया गया है कि हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ भगवतगीता अन्य धर्मियों के विषय में द्वेष फ़ैलाता है ।
१. युरोप में हिंदु धर्म की बढती लोकप्रियता एवं इस्कॉन द्वारा जारी भगवान श्रीकृष्ण के अद्वितीय लीलाओं के प्रचार के कारण रशिया के धर्मांध चर्च भयभीत हो गए हैं ।

२. भगवतगीता अन्य धर्मियों के विरोध में द्वेष फैलाती है, ऐसा आरोप लगाकर रशियन शासन द्वारा सितंबर महिने में टॉम्स्क के जनपद न्यायालय में भगवद्गीता के विरोध में अभियोग प्रविष्ट किया गया है। रशियन शाखा के प्रवक्ता युरी प्लेशाकोवने कहा है कि यह अभियोग हास्यास्पद है । उन्होंने यह भी कहा कि भगवतगीता भारतीयोंका पवित्र ग्रंथ है तथा इस ग्रंथके साथ १०० करोड हिंदुओंको आतंकवादी कहना घातक है । 

३. जिला न्यायालय के न्यायाधीश गलिना बुटेंकोने इस प्रकरण में तज्ञोंसे परामर्श मांगा है ।
४. इस विषयमें प्रतिक्रिया व्यक्त करते समय हिंदु धर्म के गहन अभ्यासक बोरीस फालिकोवने कहा है कि इस प्रकरण में प्रस्तुत किए गए साक्ष्य निराधार हैं । फालिकोव ने कहा कि भगवतगीता को त्याज्य ठहराने के विषयमें इस प्रकार अवैधानिक पद्धतिका उपयोग किया, तो कुरान एवं बाइबल ग्रंथोंको तो निश्चितरूपसे आतंकवादी ग्रंथ ठहरा सकते हैं । उन्होंने यह भी कहा कि मूल भगवद्गीताका विश्वभर में आदर किया जाता है । लिओ टॉलस्टॉय एवं अल्बर्ट आईन्स्टाईनने भी भगवतगीता का सम्मान किया है

नोट : गीता पर रूस में लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में दो रशियन व्यक्तियों द्वारा आवाज उठाई जा रही है; परंतु हिंदु बहुसंख्यक भारतमें प्रसार माध्यम एवं हिंदुत्ववादी संगठन चुप्पी साधे बैठे हैं । हिंदुओ, इस विषयमें इन संगठनोंके नेताओं से पूछें !

  प्रतिबंध लगाने वाले जरा इसे देख ले -

 क्या प्रतिबंध लगाने इन्हें रोक सकते है ?

हिंदु समाजपर नया संकट - Communal Violence Bill