Sunday, January 22, 2012

हिन्दुओं को भी संघ निष्ठां की जरूरत


कौरव क्या कम बुद्धिमान व कम शूरवीर थे ? भीष्म , दरोन् , कर्ण , अश्वत्थामा , से टक्कर ले सकने वाला पांडव पक्ष में अर्जुन के अतिरिक्त कोई दूसरा योद्धा ना था ...फिर भी कौरव किस लिए हार गए ?? संघ निष्ठा का अभाव ही उनके पतन का कारण था ...
भीष्म दरोन् आदि सभी महान थे..परन्तु प्रत्येक व्यक्तिनिष्ट थे ...संघ या समूह के लिए व्यक्तित्व के त्याग की उनकी तौयारी ना थी ..( आदर्श समूह के निर्माण के लिए व्यक्ति अ...पने अपने कुछ अधिकारों को समाज को देता है ..समाज हित के लिए व्यक्तिगत हितों का त्याग करता है ...तब समाज बनता है ...)...भीष्म पितामह अपनी प्रतिज्ञा छोड़ने को तौयार ना थे ...उन्होंने कहा "मै पुरुष के अतिरिक्त किसी से युद्ध नहीं करूँगा "....दरोन् ने कहा , " मेरा पुत्र मारा या हाथी ...इसे निश्चित किये बिना मै युद्ध नहीं करूँगा " कर्ण का भी व्यक्तिगत अहम अधिक था ...वह कहता है , " जब तक भीष्म व दरोन् लड़ते हैं तब तक मै रन क्षेत्र में नहीं जाऊँगा "
इन लोगों में संघ निष्ठा नहीं थी ......
परन्तु पांडवों में प्रत्येक व्यक्ति के महान होने पर भी , उन्होंने संघ के लिए अपनी -अपनी प्रतिज्ञाएं तोड़ी थी .....महाभारत युद्ध में हाथ में शस्त्र न् लेने की प्रतिज्ञा को श्रीकृष्ण ने भी हाथ में शस्त्र लेकर तोडा ...निः शस्त्र कर्ण पर अर्जुन ने बाण छोड़ा ...कभी असत्य को स्पर्श ना करने वाले युधिस्थीर ने भी \'नरो वा कुंजरों वा\' बोला था ...भीम ने भी गदा युद्ध के नियमों को छोड़ कर युद्ध किया था ...
कहने का तात्पर्य है व्यक्ति निष्ठा से बढ़ कर संघ निष्ठा होनी चाहिए ....
समूह / संघ के लिए जीवन न्योछावर करने की तत्परता के लिए व्यक्तिगत हितों की तिलांजलि से हमारी संस्कृति खड़ी हुई है ...
और आज इसी की सर्वाधिक जरूरत है ...टूटन को रोकने के लिए ...
एक बड़े मुस्लिम नेता ने ( सभी जानते हैं ) एक बार गांधी जी के बारे में कहा था ..." गाँधी जी महापुरुष हैं मै उनका आदर करता हूँ ..परन्तु उनकी अपेक्षा एक मार्ग में भटकता मुसलमान मुझे अधिक प्रिय है "
इसमें हमें कदाचित उस मुसलमान की धर्मान्धता दिखाई दे ...परन्तु समाज शास्त्र की दृष्टि से यह होनी ही चाहिए ...संघ निष्ठा के बिना हमारे दुर्लभ विचारों व सिद्धांतों का नुक्सान ही हुआ है !