Tuesday, November 8, 2011

'पाक में अल्पसंख्यकों के साथ पक्षपात'

ईसाई
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों विशेषकर ईसाईयों पर हमले बढ़ रहे हैं.
पाकिस्तान की एक ग़ैर-सरकारी संस्था ने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अल्पसंख्यकों को पक्षपाती नियमों का सामना करना पड़ रहा है और विवादास्पद ईश-निंदा क़ानून को ख़त्म किया जाए.
इस रिपोर्ट को जिन्ना संस्थान ने तैयार किया है और मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘एशियन ह्यूमन राईट्स कमीशन’ ने जारी किया है.
रिपोर्ट में पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का विस्तार से आकलन किया गया है.
जिन्ना संस्थान की रिपोर्ट में बताया गया है कि विवादास्पद ईश-निंदा क़ानून में संशोधन के ख़िलाफ़ हुए हिंसक प्रदर्शनों पर वर्ष 2010 का अंत हुआ और वर्ष 2011 की शुरुआत पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शहबाज़ भट्टी की हत्या से हुई. दोनों नेताओं ने ईश-निंदा क़ानून में संशोधन के लिए कोशिशें की थी.

'ईश-निंदा क़ानून में संशोधन नहीं'

रिपोर्ट में सरकार को कड़ी आलोचना का निशाना बनाया गया है और बताया गया है कि सरकार धार्मिक दलों के भारी दबाव के बाद ईश-निंदा क़ानून में संशोधन करने से पीछे हट गई.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अल्पसंख्यकों पर हो रहे ताज़ा हमले सभी स्तर पर साज़िश का नतीजा हैं जिसमें न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका शामिल हैं.
जिन्ना संस्थान के मुताबिक़ सरकार ने पाकिस्तानियों की नागरिकता को दो हिस्सों मुस्लिम और ग़ैर मुस्लिम में बांटने में भूमिका निभाई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ते हुए चरमपंथ के बीच एक तरफ़ चरमपंथी अल्पसंख्यकों को ईश-निंदा क़ानून की आड़ में धमकियाँ देते हैं, दूसरी तरफ़ सरकार भी उन लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करती जो अल्पसंख्यकों पर हिंसा करते हैं.

'अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिले'

जिन्ना संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को कुछ प्रस्ताव दिए हैं जिसके मुताबिक ईश-निंदा क़ानून को ख़त्म किया जाए और अगर सराकर उसे ख़त्म नहीं कर सकती है तो उस क़ानून के ग़लत इस्तेमाल को रोके.
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पुलिस को प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वह बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई कर सके.
ग़ौरतलब है कि जिन्ना संस्थान पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शेरी रहमान की संस्था है और उन्होंने ही सबसे पहले विवादास्पद ईश-निंदा क़ानून में संशोधन का बिल संसद में पेश किया था. बाद में सरकार के भारी दबाव के बाद उन्होंने यह बिल वापस ले लिया था.

पूजा के लिए खुला पाकिस्तान का मंदिर

 मंगलवार, 20 सितंबर, 2011 को 16:51 IST तक के समाचार

पाक मंदिर
पेशावर का मंदिर करीब 160 साल पुराना है और पिछले 50 सालों से बंद हैं.
पाकिस्तान की एक अदालत ने पेशावर में एक प्राचीन मंदिर में हिंदू समुदाय को पूजा करने की अनुमति दे दी है.
पेशावर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एजाज़ अफ़ज़ल ख़ान की अध्यक्षता में दो सदस्यीय खंडपीठ ने यह आदेश एक हिंदू महिला फूलवती की ओर से दायर की गई याचिका पर दिया. अदालती आदेश के अनुसार मंदिर की सुरक्षा का ज़िम्मेदारी सरकार की होगी, लेकिन हिंदू समुदाय का कहना है कि उन्हें अभी तक मंदिर का चाबी नहीं मिली है.
स्थानीय हिंदुओं के मुताबिक़ यह मंदिर एक 160 साल पुराना है और यह पेशावर के सबसे पुराने इलाक़े गोरखटड़ी में स्थित है.
ग़ैर सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत में हिंदुओं की जनसंख्या क़रीब 20 हज़ार है और कुछ हिंदू परिवार अफ़ग़ानिस्तान के भी पेशावर पहुँचे हैं.

'मंदिर का निर्माण'

सरकार ने बख़्त मोहम्मद को मंदिर का प्रभारी नियुक्त किया है और उन्होंने बताया कि जबसे यह मंदिर बंद था उस दौरान उसके कई हिस्से ढह गए थे और बाद में सरकार ने मंदिर का फिर से निर्माण किया है.

चाबियाँ अभी तक नहीं

"हिंदू समुदाय को अभी तक मंदिर का चाबियाँ नहीं मिली हैं और सरकार को चाहिए कि वह मंदिर की चाबियाँ हिंदू समुदाय के हवाले कर दे ताकि मंदिर को फिर से आबाद किया जा सके."
रमेश लाल, पेशावर निवासी
उन्होंने बताया कि प्रांतीय पुरातत्व विभाग मंदिर की देखभाल कर रहा है और इससे पहले यह मंदिर पुलिस इस्तेमाल कर रही थी.
पेशावर के निवासी रमेश लाल ने बीबीसी को बताया कि यह मंदिर 50 सालों से बंद था और पुलिस ने उस पर कब्ज़ा कर लिया था और उन्हें पूजा के लिए दूसरे शहर जाना पड़ता था.
उन्होंने सरकार का आभार व्यक्त किया और कहा कि अब वे ख़ुश हैं कि पेशावर शहर में ही मंदिर में पूजा की अनुमति मिल गई है.

'मंदिर की चाबियाँ हिंदुओं को नहीं'

उन्होंने बताया कि हिंदू समुदाय को अभी तक मंदिर की चाबियाँ नहीं मिली हैं और सरकार को चाहिए कि वह मंदिर की चाबियाँ हिंदू समुदाय के हवाले कर दे ताकि मंदिर को फिर से आबाद किया जा सके.
रमेश
रमेशा के मुताबिक़ अगर चाबियाँ नहीं मिली तो वह अदालत में याचिका दायर करेंगे.
रमेश लाल का कहना था कि इस वक़्त मंदिर की हालत बहुत ख़राब है और अब तक मंदिर में पूजा शुरू नहीं हो सकी है, क्योंकि चाबियाँ प्रशासन के पास हैं.
उन्होंने कहा कि वे मंदिर की चाबियाँ हासिल करने के लिए अदालत में याचिका दायर करेंगे और अगर चाबियाँ प्रशासन के पास होंगी तो हिंदू पूजा कैसे करेंगे.
मंदिर की चाबियों के सवाल पर एक अधिकारी ने बताया कि प्रशासन ने हिंदुओं को केवल पूजा की अनुमति होगी. इसके अलावा वे न अपने पास चाबियाँ रख सकते हैं और न ही कोई निर्माण का काम कर सकते हैं.
35 वर्षीय शादाब का कहना था कि उन्होंने इस मंदिर को हमेशा बंद देखा है और छोटी उम्र में उनकी इच्छा थी कि मंदिर को पूजा के लिए खोल दिया जाए और अब उनकी इच्छा पूरी हुई है.
पेशवार हाई कोर्ट ने तो मंदिर में हिंदुओं को पूजा की अनुमति दे दी है, लेकिन चाबियों का मामला अभी तक हल नहीं हो सका है.

पाक में हिंदुओं का पक्षपात का आरोप

शुक्रवार, 9 सितंबर, 2011 को 20:33 IST तक के समाचार

हिंदु
पाकिस्तानी सरकार हिंदु बाढ़ पीड़ितों के साथ भेदभाव कर रही है.
“हम खुले आसमान के नीचे तपती हुई धूप में बैठे हैं और उसकी वजह से हमारे बच्चे बीमार हो रहे हैं.”
यह शब्द मूमल नामक एक महिला के हैं जो सिंध के दक्षिणी शहर बदीन से 40 किलीमीटर की दूरी पर स्थित एक गाँव में भारी बारिश से प्रभावित हुए क़रीब सौ से अधिक हिंदू परिवारों में से एक हैं.
दक्षिणी शहर गोलाड़ची से बदीन से जाते हुए बाईं तरफ़ एक सड़क कड़यो घहंवर की ओर जाती है जिसके दोनों ओर बारिश का पानी किसी झील की तरह लग रहा है.
सड़क पर लोग मौजूद हैं और उनकी पोशाक से लगता है कि वह किसान हैं और उनका संबंध हिंदू समुदाय से है.

श्याम लाल, बाढ़ पीड़ित

"मैं मदद केलिए ज़िला प्रशासन के पास गया था लेकिन उन्होंने मदद करने के बजाए उलटा डाँट दिया और कहा कि किस से पूछ यह शिविर बनाया है."
सिंध प्रांत में पिछले दो हफ़्तों से लगातार बारिश हो रही है जिस की वजह से हज़ारों लोग प्रभावित हो गए हैं.
कड़यो घहंवर शहर में दाख़िल होते ही खुले मैदान में एक शिविर नज़र आया जिसमें कुछ तंबू लगे हुए थे और बच्चे, महिलाएँ और बूढ़े बैठे हुए थे.
उस शिविर की देखभाल श्याम लाल नामक एक युवा कर रहे थे. श्याम लाल ने बताया कि इस शिविर में सौ परिवार रह रहे हैं और दूसरे लोगों को नहीं रख सकते क्योंकि इतनी जगह नहीं है.

'कोई सुविधा नहीं'

उन्होंने शिविर में लगे तंबू की ओर इशारा करते हुए बताया कि उन्होंने यह तंबू किराए पर लिए हैं और पाँच हज़ार प्रति दिन किराया अदा करते हैं.
श्याम लाल ने कहा, “मैं मदद के लिए ज़िला प्रशासन के पास गया था लेकिन उन्होंने मदद करने के बजाए उलटा डाँट दिया और कहा कि किससे पूछकर यह शिविर बनाया है.”
उस शिविर में न तो पीने के साफ़ पानी की कोई व्यवस्था थी और और न ही शौचालय की कोई सुविधा थी. शौचालय की सुविधा न होने से तीन लोग बीमार हो गए और उनकी मौत हो गई.
शिविर में मौजूद मूमल नामक महिला ने बताया कि वह हिंदू हैं इसलिए स्थानीय राजनेता और प्रशासन उनकी कोई मदद नहीं कर रहे हैं जबकि वह मुसलमानों की सहायता कर रहे हैं.
कड़यो घहंवर में ग़ैर सरकारी संस्थाएँ भी राहत कार्य में व्यस्त हैं लेकिन स्थानी हिंदू समुदाय को उनसे भी शिकायत है कि वह भी स्थानीय प्रशासन के कहने पर काम कर रहे हैं और उनकी मदद नहीं कर रहे हैं.

पाक में हिंदू समुदाय की मुश्किलें

 मंगलवार, 1 नवंबर, 2011 को 16:46 IST तक के समाचार

धन बाई
धन बाई की 21 वर्षीय बेटी तीन साल पहले ग़ायब हो गई थी और अब तक वापस नहीं आई है.
“मैं बहुत मुश्किलों का सामना कर रही हूँ और मन करता है कि खिड़की से कूद पर अपनी जान दे दूँ.”
यह शब्द 52 वर्षीय धन बाई के हैं जो कराची के लयारी इलाक़े में एक कमरे के फ्लैट में अपनी दो बेटियों और पति के साथ रहती हैं.
धन बाई पाकिस्तान के उन सैंकड़ों हिंदू माताओं में से हैं जिन की बेटियों को मुसलमान बनाकर उनकी जबरन शादी कर दी जाती है.
तीन साल पहले धन बाई की 21 वर्षीय बेटी बानो घर से अचानक ग़ायब हो गई थी और फिर परिवार को पता चला कि वह मुसलमान बन चुकी है और उसकी शादी हो गई है.
बानो ने मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद एक ग़ैर सरकारी संस्था में काम करना शुरु कर दिया था और घर का ख़र्च चलाने में अपने पिता की मदद करती थी.
बानो की माता धन बाई ने बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा, “मेरी बेटी को कुछ लोग ले गए और हम उस मुक़दमे में इतने फंसे हैं कि अब घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.”
उन्होंने बताया कि उनका जीवन बहुत मुश्किल में बीत रहा है और उन का मन करता है कि नदी में डूब जाए या फिर खिड़की से कूद कर अपनी जान दे दे.

'जबरन शादी और धर्म परिवर्तन'

"बानो ने एक दिन मुझे कहा कि अम्मी मैं नौकरी करना चाहती हूँ तो मैंने हाँ कह दी और वह अपना बोझ ख़ुद उठाने लगी. वह तो ग़रीबों की मदद करने जाती थी, क्या पता कि वह कभी वापस भी नहीं आएगी"
धन बाई, लड़की की माँ
कराची हिंदू पंचायत के मुताबिक़ हर महीने 20 से 22 ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमें लड़कियों को मुसलमान बनाया जाता है और फिर उनकी जबरन शादी की जाती है.
धन बाई पिछले तीन सालों से अपनी बेटी की राह देख रही हैं और अदालतों के चक्कर काट रही हैं लेकिन तीन सालों के भीतर वह अपनी बेटी बानो को एक बार भी नहीं देख सकी हैं.
उन्होंने कहा, “बानो ने एक दिन मुझे कहा कि अम्मी मैं नौकरी करना चाहती हूँ तो मैंने हाँ कह दी और वह अपना बोझ ख़ुद उठाने लगी. वह तो ग़रीबों की मदद करने जाती थी, क्या पता कि वह कभी वापस भी नहीं आएगी.”
धन बाई ने कहा कि “मेरी बेटी से बात भी नहीं होती है, वो कहाँ है, वो कहीं है भी या नहीं या उसको मार दिया गया, हमें कुछ पता नहीं हैं.”
बेटी की याद ने धन बाई को बीमार कर दिया है और अपनी दो बेटियों लक्ष्मी और श्रद्धा की भी चिंता है कि कहीं वह भी घर न निकल जाएँ.
उनके पति बुधाराम लालजी का भी मन अब काम में नहीं लगता है.
बुधाराम लालजी अदालतों के चक्कर काट कर थक गए हैं और उन्होंने बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा, “हम अदालतों के चक्कर काट कर थक गए हैं और हमने अदालत से कहा है कि एक बार तो हमारी बेटी को सामने लाया जाए और अगर वह ख़ुद कहे कि वह मुसलमान होकर ख़ुश है तो हम कभी भी उसके पीछे नहीं जाएंगे.”
बुधाराम लालजी एक स्थानीय कंपनी में ड्राइवर हैं और उनको इतना वेतन नहीं मिलता कि वह अपने बच्चों का पेट पाल सकें.

'बाप भी मुश्किल में'

उन्होंने कहा, “हमें कुछ पता नहीं है कि कब हमारा मुक़दमा ख़त्म होगा और कब अपनी बेटी से मुलाक़ात होगी. हम बहुत तंग हो चुके हैं और कहाँ जाएँ, मुक़दमों का सामना करें या बच्चों का पेट पालें.”
मुफ़्ती नईम
धार्मिक संगठन कहते हैं कि लड़के-लड़कियाँ ख़ुद उनके पास धर्म परिवर्तन के लिए आ रहे हैं
कराची हिंदू पंचायत के अध्यक्ष अमरनाथ ने बताया कि जबरन शादी और धर्म-परिवर्तन पाकिस्तान में हिंदू समुदाय का सबसे बड़ी समस्या है.
उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय की कम उम्र लड़कियों को घरों से निकाला जाता है और उन्हें झांसा दिया जाता है. उनकी शिकायत है कि इन मामलों में न तो सरकार मदद करती है और न ही पुलिस.
उन्होंने कहा, “आजकल इन मामलों में इस्लामी धार्मिक गुटों के लोग लिप्त हैं और इस्लामी मदरसों के छात्र भी ऐसा कर रहे हैं. शहर के बड़े मदरसे मुसलमान होने का प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं.”
अमरनाथ ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब यह मामला सामने आता है तो सब लोग ख़ुश हो जाते हैं, पड़ोसी है तो वह भी ख़ुश हो जाता है कि एक और मुसलमान हो गया.
उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय को घरों से निकालना और उन्हें मुसलमान करना एक योजना के तहत हो रहा है.

'मरदसे लिप्त नहीं'

कराची के एक बड़े मदरसे जामिया बिनोरिया के अध्यक्ष मुफ़्ती नईम ने बीबीसी से बातचीत करते हुए कहा कि उनके मदरसे के छात्र या धार्मिक संगठन के लोग हिंदू लड़कियों को मुसलमान बनाने में लिप्त नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों के भीतर उनके पास 200 से ज़्यादा लड़के और लड़कियाँ मुसलमान होने के लिए पहुंचे हैं और उनको किसी ने जबरन मुसलमान नहीं बनाया है.
उन्होंने कहा कि कोई ऐसा उदाहरण नहीं मिलता कि किसी हिंदू लड़की ने कहा हो कि उनको जबरन मुसलमान बनाया गया है बल्कि उनके माता पिता मरदसों पर आरोप लगाते हैं.
पाकिस्तान हिंदू परिषद के मुताबिक़ पाकिस्तान में हिंदूओं को जनसंख्या 70 लाख से ज़्यादा है जिसमें बड़ी संख्या सिंध प्रांत में रहती है.